शिव-पार्वती की बेटी है "अशोक सुंदरी देवकन्या"
बहुत ही कम लोगों को पता है कि भगवान शिव शंक्कर और माता पार्वती की एक
पुत्री भी थी। जिनका नाम "अशोक सुंदरी" था, इनका विवाह राजा नहुष से हुआ
था। अशोक सुंदरी देवकन्या हैं, इस बात का उल्लेख पद्मपुराण में मिलता है,
अशोक सुंदरी को भगवान शिव और पार्वती की पुत्री बताया गया है।
दरअसल माता पार्वती के अकेलेपन को दूर करने हेतु कल्पवृक्ष नामक पे़ड के
द्वारा ही अशोक सुंदरी की रचना हुई थी। पद्म पुराण के अनुसार एक बार माता
पार्वती विश्व में सबसे सुंदर उद्यान में जाने के लिए भगवान शिव से कहा। तब
भगवान शिव पार्वती को नंदनवन ले गए, वहां माता को कल्पवृक्ष से लगाव हो
गया और उन्होंने उस वृक्ष को लेकर कैलाश आ गईं।
ब्वॉयफ्रेंड पर था शक, सच्चाई जान रह गई सन्न
दहेज में मिलेंगे 1200 करोड, फिर भी शादी से डर रहे लडके!
कल्पवृक्ष मनोकामना पूर्ण करने वाला वृक्ष है, पार्वती ने अपने अकेलेपन को
दूर करने हेतु उस वृक्ष से यह वर मांगा कि उन्हें एक कन्या प्राप्त हो, तब
कल्पवृक्ष द्वारा अशोक सुंदरी का जन्म हुआ। माता पार्वती ने उस कन्या को
वरदान दिया कि उसका विवाह देवराज इंद्र जैसे शक्तिशाली युवक से होगा।
एक बार अशोक सुंदरी अपने दासियों के साथ नंदनवन में विचरण कर रहीं थीं तभी
वहां हुंड नामक राक्षस का आया। जो अशोक सुंदरी के सुंदरता से मोहित हो गया
और उसने अशोक सुंदरी के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा। लेकिन अशोक सुंदरी
ने अपने भविष्य के बारे में बताते हुए विवाह के बारे में भी बताया कि उनका
विवाह नहुष से ही होगा।
यह सुनकर राक्षस ने कहा कि वह नहुष को मार डालेगा। ऎसा सुनकर अशोक सुंदरी
ने राक्षस को शाप दिया कि उसकी मृत्यु नहुष के हाथों ही होगी। वह घबरा गया
जिसके चलते उसने नहुष का अपहरण कर लिया। उस समय नहुष काफी छोटे थे। नहुष
को राक्षस हुंड की एक दासी ने बचाया।
इस तरह महर्षि वशिष्ठ के आश्रम में नहुष बडे हुए और उन्होंने हुंड का वध
किया। इसके बाद नहुष तथा अशोक सुंदरी का विवाह हुआ तथा वह ययाति जैसे वीर
पुत्र तथा सौ रूपवती कन्याओं की अशोक सुंदरी माता बनीं।
जिंदा है रावण की बहन सूर्पणखा, कर रही हैं कई चमत्कार
समृद्धि और शांति बसेगी घर में जब होंगे ये उपाय
इस पेड की पूजा से लक्ष्मी सदा घर में रहेगी
#महिलाओं के शरीर पर तिल,आइये जानते हैं इसके राज