एमबीए में करियर के लिए अपनाए ये शानदार टिप्स
फाइनेंस एमबीए करना सही विकल्प हो सकता है। फाइनेंस में एमबीए करना सही ऑप्शन हो सकता है। पर यह भी सच है कि इसकी पढाई करने वाले स्टूडेन्टस को अमूमन किसी सीए की तुलना में क्वांटिटेटिव फाइनेंस, टैक्सेशन और ऑडिट जैसे अहम टॉपिक्स की जानकारी कम ही होती है। जबकि मार्केट टें्रड और मांग को देखते हुए इन्हें जानना भी काफी जरूरी है।
�
सुपर स्पेशियलिटी वाले एमबीए दरअसल एमबीए प्रोग्राम की फिलोसपी के ही खिलाफ जाते हैं, उदाहरण के लिए फाइनेंस में एमबीए को लें। इसे करने वाले छात्र को किसी सीए की तुलना में क्वांटिटेटिव फाइनेंस, टैक्सेशन और ऑडिट आदि की जानकारी कम होती है। इसके बावजूद कंपनियां अभी भी वित्त में एमबीए कोर्स किए हुए लोगों को नियुक्त करती हैं। यह साबित करता है कि एंप्लायर्स किसी खास टॉपिक की समझ वाले एंप्लाई की जगह वास्ट नॉलेज वाले लोगों को रखना पसंद करते हैं। ऎसे में आज सुपर स्पेशियलिटी वाले एमबीए कार्यक्रमों से फिलहाल बचा जाए तो बेहतर है, क्योंकि ऎसे प्रोग्राम अमूमन किसी मैनेजमेंट प्रोग्राम की मूल भावना का उल्लंघन करते हैं।