कमाल के उपाय ससुलराल वालों का दिल जीतने के....
अगर युवती चाहे तो
ससुराल में वैसा ही महसूस कर सकती है, जैसा वे मायके में करती थी। सोचा जाए
तो, मायके और ससुराल में सिर्फ इतना ही अंतर होता है कि ससुराल में उसके
साथ थोडी ज्यादा जिम्मेदारियाँ और उम्मीदें जुड जाती हैं। लेकिन अगर उन्हें
सहजता और प्यार से लिया जाए तो यह फर्क भी मिट जाता है।
जरूरी है सबका मन जीतना
यह सिर्फ एक उदाहरण नहीें है, बल्कि सच है कि
परिवार की नवविवाहित को प्यार और आजादी मिलती है तो उन्हें भी ससुराल के हर
व्यक्ति को मानसम्मान देना होता है। वे अगर यह सोच लें कि उनका मतलब तो
सिर्फ पति देव से ही है तो कभी भी ससुराल के अन्य सदस्यों को खुले मन से
अपना नहीं पाती है। जहां एक ओर परिवार को बांधे रखने के लिए एक बहू कोअगर
अपनी जिम्मेदारियों को खूब अच्छे निभाना पडता है, तो दूसरी ओर अपने मधुर
व्यवहार से सब का दिल जीत कर अपने लिए भी एक खास जगह ससुराल में बनानी पडती
है। अगर एक बार वह अपनी जगइ बना लेती है और सब का विश्वास जीत लेतीहै तो
फिर सारी जिन्दगी वहीं हंसते-हंसते बिता सकती है।