आखिर गोरा रंग ही क्यों ! प्रिय है, सांवली हसीनाएं भी सुन्दर, आकर्षक व सफलता की चोटियों...
बॉलीवुड में भी शायद इसी सोच की वजह से गोरे गोरे मुखडे पे काला-काला चश्मा, गोरी है कलाइयां, गोरी-गोरी, गोरी-गोरी कभी-कभी छुप छुप के तुम मिला करो, धूप में ना निकला करो रूप की रानी गोरा रंग काला न पड जाऎ।