चूहों के मंदिर में होगीं मनोकामना पूरी
श्रद्धालुगण मंदिर में मौजूद चूहों को दूध, मिठाई और फ ल अर्पित करते हैं क्योंकि मूषकों को माता का प्रिय माना जाता है। यहां एक और खास बात देखने को मिलती है कि भले मंदिर में असंख्य चूहे मौजूद हों लेकिन मंदिर के बाहर आपको एक भी चूहा नहीं नजर आएगा साथ ही कभी भी इस मंदिर में कोई बिल्ली नहीं आती जिससे चूहे बेखौफ होकर घूमते रहते हैं। जिस स्थान देशनोक में यह मंदिर स्थित है, वहां के पुराने लोग बताते हैं कि जिस समय चूहों से संबंधित बीमारी प्लेग का कहर बरपा था उस समय यह इलाका इस बीमारी से बचा रहा था।मां की मूर्ति के आगे चूहों की उछलकूद देखकर श्रद्धालु आश्चर्यचकित हो जाते हैं। यह चूहे माता के प्रिय हैं और कभी भी किसी श्रद्धालु को नुकसान नहीं पहुंचाते। यहां मंदिर में सुबह पांच बजे मंगला आरती और सायं सात बजे आरती के समय चूहों का जुलूस देखने लायक होता है। मंदिर के मुख्य द्वार पर संगमरमर पर की गयी नक्काशी भी लोगों को खूब पसंद आती है। मंदिर के चांदी के दरवाजे, सोने के छत्र और चूहों के प्रसाद के लिए रखी गयी चांदी की बडी परात भी देखने लायक है।