मन की सभी इच्छाएं होंगी पूरी, इस देव को ध्याने भर से
धार्मिक ग्रंथों और पुराणों के अनुसार सृष्टि में एक देवता ऐसे भी हैं,
जिन्हेंह केवल कुछ दिनों तक ध्यामने से सभी तरह के मनोरथ पूरे होते हैं और
जातक अपना जीवन सुख से व्येतीत कर सकता है। प्रत्ये क जातक को श्रीकृष्ण की
नियमित पूजा-अर्चना करनी चाहिए। जिन लोगों का जन्म अमावस्या के आसपास हुआ
हो या जिनकी जन्मपत्री में चंद्रमा क्षीण हो या अन्य किसी ग्रह से पीडि़त
हो, उन्हें भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करनी चाहिए क्योंकि पाराशर मुनि ने
श्रीकृष्ण को चंद्र का अवतार ही माना है-चंद्रस्य यदुनायक:। चंद्रमा के
कमजोर होने से होने वाले सारे अरिष्ट श्रीकृष्ण के पूजन-अर्चन से खुद ब खुद
ही दूर हो जाते हैं। श्रीकृष्ण की नियमानुसार और नियमित स्तुति की जाए तो
कैसा भी संकट पास भी नहीं आता और जातक सभी सुखों से युक्त जीवन का आनंद
लेता है। कैसा भी कष्ट हो परेशानी हो श्रीकृष्णु को जपने से सभी में राहत
मिलती है।
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विवाह में विलंब, कृष्ण को जपें
जिन पुरुषों का विवाह नहीं हो रहा हो या विवाह में विलंब हो रहा
हो, उन्हें शीघ्र विवाह के लिए श्रीकृष्ण के इस मंत्र का 108 बार जप करना
चाहिए-
ओम क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा।
कन्याओं के विवाह में विलंब होने पर
कन्याओं को
श्रीकृष्ण जैसे सुंदर पति की प्राप्ति के लिए माता कात्यायनी के इस मंत्र
का जप वैसे ही करना चाहिए जैसे द्वापर युग में श्रीकृष्ण को पति रूप में
पाने के लिए गोकुल की गोपियों ने किया था।
कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि।
नन्दगोपसुतं देवि पतिं मे कुरु ते नम:।।
गुरुभक्ति प्राप्ति मंत्र
जिन व्यक्तियों के कोई गुरु न हो
या किसी पारंपरिक वैदिक संप्रदाय में दीक्षित न हो, उन्हें गुरुभक्ति
प्राप्त करने के लिए शुभ समय में इस मंत्र का जप करना चाहिए-
वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम्।
देवकीपरमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्।।
संतान सुख के लिए
गोपाल मंत्र
जिन परिवारों में संतान सुख न हो या स्त्रियों को गर्भधारण में कठिनाई आ
रही हो या कुंडली में बुध और गुरु संतान प्राप्ति में बाधक हों तो ऐसे में
पति-पत्नी दोनों को तुलसी की शुद्ध माला से पवित्रता के साथ संतान गोपाल
मंत्र का नित्य 108 बार जप करना चाहिए या विद्वान ब्राह्मणों से सवा लाख जप
करवाने चाहिए-
देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते।
देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:।।
विजय प्राप्ति के लिए श्लोक
जीवन में आने वाली विपरीत परिस्थितियों में विजय प्राप्त करने के लिए श्रीमद्भगवद्गीता के इस श्लोक को पढऩा चाहिए-
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।।
सभी प्रकार की विजय और श्री, संपत्ति प्राप्त करने के लिए
प्रतिदिन इस मंत्र का उच्चारण करें-
यत्र योगेश्वर: श्रीकृष्ण: यत्र पार्थो धनुर्धर:।
तत्र श्रीर्विजयो भूतिध्र्रुवा नीतिर्मतिर्मम।।
विपत्ति निवारण के लिए
इसी तरह विपत्ति, दुख या क्लेश के निवारण के लिए 11 बार निम्न मंत्र का जप श्रीकृष्ण का ध्यान करते हुए एकाग्रचित्त होकर करना चाहिए-
कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।
प्रणतक्लेशनाशय गोविंदाय नमो नम।।
ग्रहों के दोष निवारण के लिए
श्रीराधाकृष्ण मंदिर के दर्शन करने चाहिए। श्रीकृष्ण स्वरूपी शालिग्राम के पूजन से भी बुध व गुरु ग्रहों की शांति होती है।
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