बेहतर पैरेंटिंग के 20 ट्रिक्स
आज
के इस आघुनिक दौर में बच्चों को संभालना और उनका सही मार्गदर्शन करना काफी
मुश्किल होता जा रहा है। पैरेंटिंग आजकल पैरेंट्स के लिए एक चैलेंज बन गया
है। यदि बच्चो को समझदारी से हैंडल न किया गया गया तो उनके दिलोदिमाग पर
खराब असर हो सकता है। यदि आप चाहते हैं कि आपका बच्चो अनुशासित, जिम्मेदार
और सबकी आँखों का तारा बने और आप आदर्श माता-पिता कहलाएं तो ये पैरेंटिंग
ट्रिक्स आजमाएं।
1. बच्चो की सभी बातों मे मीन-मेख न निकालें और न ही बात-बात में उसे
रोकें-टोकें। बच्चो को प्यार से समझाएं। उसके दोस्तो के सामने उसे डाटे नही
,उसे इस बात का बुरा लगेगा।
2. आपका बच्चा जब कोई अच्छा काम करें तो उसकी प्रशंसा करना न भूलें।
माता-पिता की प्रशंसा बच्चो के अंदर आत्मविश्वास जगाती है और भविष्य में वो
और भी अच्छा परफार्म करता है।
3. बच्चों को बचपन से ही "सारी" और "थैंक्यू" जैसे श्ब्दों का प्रयोग करना
सिखांए। घर आए मेहमानों और बडे-बुजुर्गो का सम्मान करना सिखांए। अच्छे आचरण
के बीज बचपन में ही बोए जा सकते हैं।
4. कभी-कभी बच्चो की जिद भी मान लें। जिद करना तो बाल सुलभ स्वभाव है। थोडी
समझदारी से उसके इस स्वभाव को हैंडल करें तो उसकी यह आदत घीरे-घीरे स्वत:
ही कम हो जाएगी।
5. आमतौर पर पैरेंट्स बोलते हैं और बच्चो को उनकी बात सुननी पडती है। बच्चो
को भी बोलने का मौका दें,उनकी बातो को घ्यान से सुनें। बाल मनोवैज्ञानिकों
के अनुसार यदि बच्चों को अपनी बात कहने का मौका दिया जाए तो उन्हे दिशा
देना आसान हो जाता है।
6. बच्चों से फ्रेंड्ली रहें परन्तु एक सीमा तक ही । अपना पैरेंटल अघिकार
बनाएं रखें और अनुशासन में रखकर बच्चो को जरूरी दिशा निर्देश दें।
7. दूसरे बच्चों से अपने बच्चों की तुलना न करें। इससे बच्चों में
सुपिरियोरिटी काम्प्लेक्स या हीन भावना उत्पन्न हो सकती हैं। हर बच्चा
दूसरे से अलग होता है। उसके अच्छे गुणों को उभारना हर माता-पिता जिम्मेदारी
होती है।
8. बच्चो में शुरू से ही शेयरिंग की आदत डालें। उसे अपने खिलौने या चॉकलेट
अपने दोस्तों या भाई- बहनो के साथ मिल-बांटकर खेलना खाना सिखाएं। इस तरह वो
बचपन से ही सोशल होना सीखेगा।
9. अपने बच्चों में ईष्र्या-द्वेष की भावना न पनपने दें, न ही ओवर रिएक्ट करें।
10. बच्चो अनुशासन घर से ही सीखतें हैं अत:बच्चों को जिम्मेदार व अनुशासित
बनाने से पहले स्वय अनुशासित व जिम्मेदार बनें।
11. बच्चों को अपने पारिवारिक या आपसी झगडों का हिस्सा न बनाएं और न ही उन्हें मोहरे के तौर पर इस्तेमाल करें।
12. बच्चो से बहुत अघिक अपेक्षांए न करें। अक्सर पैरेंट्स अपनी अघूरी
महत्वकांक्षा बच्चों के जरिए पूरी करना चाहते हैं और इसके लिए वो बच्चों पर
दबाव डालते हैं ,जो सही नहीं है।
13. बच्चों को अनुशासन सिखाएं, लेकिन उन्हें अनुशासन के दायरे में बाघकर न
रखें। अनुशासन के दायरे में बांघकर रखने से बच्चो का समुचित विकास नहीं हो
पाता।
14. बच्चों के सामने गाली-गलौज या अपशब्दों का इस्तेमाल न करें और न ही
बच्चों के सामने अनावश्यक झूठ बोलें क्योकी जैसा आप बोलेगे उसका प्रभाव
निश्चित रूप से आपके बच्चो पर पडेगा।
15. बच्चों के लिए भी वक्त निकालें। बच्चों की दिनचर्या में शामिल होना भी बच्चों के सम्पूर्ण विकास का हिस्सा है।
16. कोई भी फंक्शन या फैमिली गेट- टुगेदर हो तो बच्चों को साथ जरूर ले
जाएं। इससे बच्चो सोशल बनतें हैं। हमारी परंपराओं से बच्चो बहुत कुछ सीखते
हैं।
17. बच्चो के सवालों पर या उसकी किसी जिज्ञासा पर उसे डांटकर चुप न कराएं
बल्कि समझदारी पूर्वक उसके सवालों का जवाब दें और उसकी जिज्ञासाओं को शांत
करें। इससे बच्चा भ्रमित नहीं होगा।
18. बच्चों को इतनी छूट भी न दें की वो लापरवाह बन जाएं। बच्चों को कोई भी
स्वतंत्रता समय से पहले व जरूरत से ज्यादा न दें, ताकि वो चीजों व भावनाओं
की कद्र करना जानें।
19. बच्चो को आत्मनिर्भर बनना सिखाएं। उसके छोटे-छोटे काम उसे स्वय करने
दें। ऎसा करने से वो बचपन से ही जिम्मेदार व आत्मनिर्भर बनेगा।
20. बच्चो की प्रथम पाठशाला उसका घर होता है अत: अपने बच्चो के सामने
सभ्यता से बोलें और अच्छा आचरण करें। क्योकी जैसा आप बोलेगें और जैसा आचरण
आप करेगें वैसा ही आपका बच्चा सीखेगा।
इन सब बातों का घ्यान रखकर और उपरोक्त बातों को अपनी व अपने बच्चो की
दिनचर्या में शामिल कर के आप भी एक आदर्श माता-पिता बन सकतें हैं।
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