13 का अंक का राज
जैन धर्म में भी आचार-विचार एवं व्यवहार की शिथिलता बढने लगी तो आचार्य भिक्षु ने तेरह साधु एव्र तेरह श्रावकों के साथ तेरापंथ की स्थापना की। प्रारंभ में इन्हें भी विराधियों का सामना करना पडा लेकिन वर्तमान में तेरापंथ, जैन धर्म संप्रदाय के रूप में विख्यात है। ईसा मसीह ने भी अपने 13 शिष्यों के साथ जिस दिन भोजन किया, वही उनके जीवन का अंतिम दिन था लेकिन उसके तीन दिन पश्चात ही वे पुन: जीवित हो उठे अर्थात 13 सदस्यों के साथ भोजन कर कुछ प्रतिद्धि हेतु जीवन संघर्ष कराया फिर तीन दिन पश्चात ही उनकी प्रसिद्धि प्रारंभ हुई।